वे इसे सुख कहते हैं
पवित्र परिवार! साथ साथ रहते हैं दोनो एक ही घर में जैसे यूंही रहते आये हों पवित्र उद्यान से निष्काषन के बाद से ही अंतरंग इतने कि अक्सर यूं ही निकल आती है सद्यस्नात स्त्री जैसे कमरे में पुरूष नहीं निर्वात हो अशरीरी चौदह वर्षों से रह रहे हैं एक ही छत के नीचे प्रेम नहीं अग्नि के चतुर्दिक लिये वचनो से बंधे अनावश्यक थे जो तब और अब अप्रासंगिक मित्रता का तो ख़ैर सवाल ही नहीं था ठीक ठीक शत्रु भी नहीं कहे जा सकते पर शीतयुद्ध सा कुछ चलता रहता है निरन्तर और युद्धभूमि भी अद्भुत ! वह बेहद मुलायम आलीशान सा सोफा जिसे साथ साथ चुना था दोनो ने वह बड़ी सी मेज़ जिस पर साथ ही खाते रहे हैं दोनो वर्षों से बिला नागा और वह बिस्तर जो किसी एक के न होने से रहता ही नहीं बिस्तर प्रेम की वह सबसे घनीभूत क्रीड़ा जिक्र तक जिसका दहका देता था रगों में दौड़ते लहू को ताज़ा बुरूंश सा चुभती है बुढ़ाई आंखों की मोतियाबिंद सी स्तनों के बीच गड़े चेहरे पर उग आते हैं नुकीले सींग और पीठ पर रेंगती उंगलियों में विशाक्त नाखून शक्कर मिलों के उच्छिष्ट सी गंधाती हैं सांसे खुली आंखों से टपकती है क