प्रतिभा कटियार की कवितायें
काफी आग्रहों के बाद प्रतिभा कटियार ने अपनी कवितायें भेजीं भी तो मेल का विषय लिखा- एक अकवि की कवितायें… लेकिन उनकी कवितायें और आलेख पढ़ते हुए मुझे तो वह हमेशा ही एक आदमक़द रचनाकार लगी हैं। आप भी पढ़िये और बताईये… वही बात उनके पास थीं बंदूकें उन्हें बस कंधों की तलाश थी, उन्हें बस सीने चाहिए थे उनके हाथों में तलवारें थीं, उनके पास चक्रव्यूह थे बहुत सारे वे तलाश रहे थे मासूम अभिमन्यु उनके पास थे क्रूर ठहाके और वीभत्स हंसी वे तलाश रहे थे द्रौपदी. उन्होंने हमें ही चुना हमें मारने के लिए हमारे सीने पर हमसे ही चलवाई तलवार हमें ही खड़ा किया खुद हमारे ही विरुद्ध और उनकी विजय हुई हम पर. उन्होंने बस इतना कहा औरतें ही होती हैं औरतों की दुश्मन, हमेशा... बंद रहने दो दरवाजा मत खोलो उस दरवाजे को मैं कहती हूं मत खोलो देखो न हवाएं कितनी खुशनुमा हैं और वो चांद मुस्कुराते हुए कितना हसीन लग रहा है. अभी-अभी गुजरा है जो पल तुम्हारे साथ भला उससे सुंदर और क्या होगा इस जीवन में. ना, देखो भी मत उस दरवाजे की ओर ध्यान हटाओ उधर से इस खूबसूरत