इस ज़िंदां में कितनी जगह है
सुना है हाकिम सारे दीवाने अब ज़िंदां के हवाले होगे सारे जिनकी आँख ख़ुली है सारे जिनके लब ख़ुलते हैं सारे जिनको सच से प्यार सारे जिनको मुल्क़ से प्यार और वे सारे जिनके हाथों में सपनों के हथियार सब ज़िंदां के हवाले होंगे! ज़ुर्म को अब जो ज़ुर्म कहेंगे देख के सब जो चुप न रहेगें जो इस अंधी दौड़ से बाहर बिन पैसों के काम करेंगे और दिखायेंगे जो उनके चेहरे के पीछे का चेहरा सब ज़िंदां के हवाले होंगे जिनके सीनों में आग बची है जिन होठों में फरियाद बची है इन काले घने अंधेरों में भी इक उजियारे की आस बची है और सभी जिनके ख़्वाबों में इंक़लाब की बात बची है सब ज़िंदां के हवाले होंगे आओ हाकिम आगे आओ पुलिस, फौज, हथियार लिये पूंजी की ताक़त ख़ूंखार और धर्म की धार लिये हम दीवाने तैयार यहां है हर ज़ुर्म तुम्हारा सहने को इस ज़िंदां में कितनी जगह है! कितने जिंदां हम दीवानों के ख़ौफ़ से डरकर बिखर गये कितने मुसोलिनी, कितने हिटलर देखो तो सारे किधर गये और तुम्हें भी जाना वहीं हैं वक़्त भले ही लग जाये फिर तुम ही ज़िंदां में होगे! * ज़िंदा