अर्चना भैंसारे- कुछ कवितायें, आत्मकथ्य और एक नोट
हिंदी के लिए इस वर्ष का साहित्य अकादमी युवा सम्मान प्राप्त करने वाली कवयित्री अर्चना भैंसारे को इस सम्मान के लिए हार्दिक बधाई देते हुए आज असुविधा की यह पोस्ट उन पर केन्द्रित की गयी है. आभासीय दुनिया में लोकप्रियता की जद्दोजहद के बीच, यह एक सहज काव्य यात्रा का ईनाम है युवा कवियित्री अर्चना भैंसारे को साहित्यक एकादमी द्वारा मिले युवा पुरस्कार को लेकर उठ रहे विवाद के बीच अपनी बात रखी जाए, इसके पूर्व विजेन्द्र जी के संपादन में निकलने वाली पत्रिका कृति ओर के जुलाई-सितंबर के 29वें अंक में पहली बार छपी अर्चना भैंसारे की 11 कविताओं के साथ उसके वक्तव्य को यहां रखना ज्यादा अच्छा होगा, ताकि अर्चना को अंजाना कहने वालों और उसकी कविताओं को साधारण कहकर नकारने वालों को अर्चना के जीवन और उसके सामाजिक परिवेश का एक संक्षिप्त परिचय मिल जाए। उसके बाद बात रखूंगा, फिलहाल यह बता दूं कि कृति ओर में पहली बार अर्चना की जो 11 कविताएं छपी थी उनमें, आदमी होने से पहले / फिलहाल / उस चादर के तार / सृजन के लिए / वे हत्यारे / मुबारक हो मेरे देश / मेरा देश / अनायास / कतार-दर-कतार / अभी से / इन दिन