मैं एक औरत हूँ और एक लेखक हूँ-
(यह साक्षात्कार नया ज्ञानोदय में छपा है. अनुवाद ख़ाकसार ने किया है. अब यहाँ आनलाइन पाठकों के लिए) जब उपन्यासकार और कहानीकार नादिन गार्दिमेर को साहित्य के लिए 1991 के नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था तो वह पिछले 25 सालों में पहली और अब तक कि केवल सातवीं महिला थीं जिन्हें यह सम्मान मिला था. उनका जन्म 1923 में जोहांसबर्ग के बाहरी इलाक़े के ईस्ट रेंड नामक खनिक क़स्बे के ट्रांसवाल के स्प्रिंग्स में एक प्रभावशाली परिवार में हुआ था. इस माहौल ने 1953 में प्रकाशित उनके पहले उपन्यास के लिए भाव भूमि प्रदान की. अपनी माँ द्वारा, जो हमेशा सोचती थीं कि उनका दिल कमज़ोर है, अक्सर घर में ही रखे जाने वाली गार्दिमेर ने नौ साल की उम्र में लिखना शुरू कर दिया. उनकी पहली कहानी ‘कम अगेन टुमारो’ जोहांसबर्ग की पत्रिका फोरम के बच्चों के खंड में तब प्रकाशित जब वह केवल 15 साल की थीं. बीस से तीस के साल की उम्र के बीच उनकी कहानियाँ तमाम स्थानीय पत्रिकाओं में छप चुकी थीं. 1951 में न्यू यार्कर ने उनकी एक कहानी स्वीकार की और तबसे वह उन्हें लगातार प्रकाशित कर रहा है. कम उम्र में ही गार्दिमेर ने दक्षिण अफ्र