नेपाली युवा कवि सुमन पोखरेल की कविताएं
नेपाली के युवा कवि सुमन पोखरेल की ये कविताएं उस जीवन जगत के प्रामाणिक चित्र हैं जिनसे कवि वाबस्ता है। यहाँ बच्चों का एक मासूम जीवन है जिसमें बहुत सी बदशक्ल सरंचनायेँ भी उनके स्पर्श से कोमल हो जाती है, बनता-बिगड़ता-बदलता शहर है जो अपनी सारी गैरियत के बावजूद अपना है और प्रेम है ताजमहल के सम्मुख स्मृतियों और उम्मीदों के थरथराते पुल से गुज़रता। इंका हिन्दी अनुवाद खुद कवि ने किया है। असुविधा पर उनका स्वागत बच्चे तोडना चाहने मात्र से भी उनके कोमल हाथों पे खुद ही आ जाते हैं फूल डाली से, उनके नन्हे पाँव से कुचल जाने पे आजीवन खुद को धिक्कारते हैं काँटे । सोच समझकर सुकोमल, हल्के हो के बारिकी से बसते हैं सपने भी उनके आँखों में । उन के होठों पे रहने से उच्चारण करते ही खौफ जगानेवाले शब्द भी तोतले हो के निकलते हैं । चिडियों को ताने मारती हुई खिलखिला रही पहाडी नदी उन की हंसी सुनने के बाद अपने घमन्ड पे खेद करती हुई चुपचाप तराई की तरफ भाग निकलती है। खेलते खेलते कभी वे गिर पडे तो उनकी शरारत के सृजनशीलता पे खोयी हुई प्रकृती को पता ही नहीं चलता कि,