प्रदीप कुमार सिंह की कविताएं
प्रदीप कुमार सिंह के पास काव्य परम्परा का ज्ञान है इसलिए वे बरते गए विषयों और कथ्य को मौजूद परिस्थितियों के मुताबिक पुनर्नवा करते हैं और यही उनका कौशल है कि सटीक व्यंजना के लिए उन्हें अति विस्तार में नहीं जाना पड़ता। वे चुने हुए शब्द और सधे वाक्य लिखते है सरल और सपाट जैसे की सामने का जीवन-सत्य का साक्षात करवा रहे हों। इसी जीवन-सत्य का सीधा प्रसारण उनकी कविता का वैशिष्ट्य है। प्रदीप का कवि गाँव, शहर, महानगर, देश और विश्व पर हो रहे आघातों-प्रत्याघातों और कारनामों पर नज़र बनाये हुए है और उनके परिणामों को भी अत्यंत संवेदी नज़रिये से प्रस्तुत कर रहा है। युद्ध की वास्तविक परिणति, स्त्री सरीखी नदियों का दुःख, सपने देखने की मनुष्योचित प्रवृत्ति का अपराध बन जाना, बुज़ुर्गों की अर्थहीन होते जाने की विडम्बना और किसानों की आत्महत्या -यह सब मिलकर कवि को उत्तरदायी चेतना से लैस करते हैं और वह इन्हें अपनी कविता में प्रतिरोधी काव्यात्मकता से अभिव्यक्त करता है। प्रदीप कुमार सिंह की काव्यात्मक सम्भावना सराहने योग्य है। कुमार अनुपम कुमार अनुपम की पेंटिंग : एजेज़ युद्ध युद्ध से नहीं