संदेश

फ़रवरी, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्मिता सिन्हा की कविताएँ

चित्र
स्मिता सिन्हा की कवितायें अभी अभी प्रकाश में आई हैं। सुखद यह कि इनमें एक असमय प्रौढ़ता की जगह उम्मीदें जगाता कच्चापन है , एक बेचैनी जो विषयों के चयन से लेकर कविताओं के ट्रीटमेंट तक में झलकती है। वह प्रचलित विषयों से बाहर निकलने के लिए जूझती सी लगती हैं और अपनी एक भाषा हासिल करने के लिए भी।   असुविधा के स्त्री कविता माह में हम उनका स्वागत करते हैं।   Willem-de-Kooning की पेंटिंग यहाँ से साभार  अनामंत्रित   सुख के सघन रेशों से छनकर   बूँद बूँद इकट्ठा हुई स्मृतियों को   धीमे से बहा आना   उस तरलता में   जो हमारा दुःख है   उतना मुश्किल नहीं होता   जितना मुश्किल होता है   व्यवस्थित करना   अपनी ऊसर चेतना और अशक्त धैर्य को   उस क्षितिज और आकाश के मध्य कहीं मुश्किल होता है व्यवस्थित करना   अपनी आस्थाओं को   उन प्रार्थनाओं में   उसी ईश्वर के सापेक्ष   जो आज हमारे लिये   एक तर्क का विषय है अपने दिन और रात को व्यवस्थित करना   उतना मुश्किल नहीं होता   जितना मुश्किल होता है   अपनी आवाज़ और उदासी को   व्यवस्थित करना व्यवस्थ